क्या हुआ।
क्या हुआ जो आज मैं थोड़ा गम्भीर हूँ,
यह पल है मेरा और मैं ख़ुशनसीब हूँ।
यह पल तो निकल जायेगा,
पर कुछ सिखा जायेगा।
क्या हुआ जो आज मैं ग़मगीन हूँ,
यह पल मुझे एहसास दिलाता है,
क्या कुछ सुधार अभी बाकी है मुझमें,
क्या कुछ निखारना बाकी है अभी।
क्या हुआ जो आज मैं थोड़ा ठहराव हूँ,
यही मुझे जीवित रख रहा है,
इसी ठहराव में अनगिनत लहरें समानी हैं।
क्या हुआ जो आज मैं थोड़ा विचलित हूँ,
इसी का नाम तो जिंदगानी है।
यह पल है मेरा और मैं ख़ुशनसीब हूँ।
यह पल तो निकल जायेगा,
पर कुछ सिखा जायेगा।
क्या हुआ जो आज मैं ग़मगीन हूँ,
यह पल मुझे एहसास दिलाता है,
क्या कुछ सुधार अभी बाकी है मुझमें,
क्या कुछ निखारना बाकी है अभी।
क्या हुआ जो आज मैं थोड़ा ठहराव हूँ,
यही मुझे जीवित रख रहा है,
इसी ठहराव में अनगिनत लहरें समानी हैं।
क्या हुआ जो आज मैं थोड़ा विचलित हूँ,
इसी का नाम तो जिंदगानी है।

अछा हुआ अपना नाम ऊपर ही बच्चे
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